गुलशन की बहारों मैं,
रंगीन नज़ारों मैं,
जब तुम मुझे ढूंढोगे,
आँखों मैं नमी होगी,
महसूस तुम्हें हर दम,
फिर मेरी कमी होगी......
आकाश पे जब तारे,
संगीत सुनाए गे,
बीते हुए लम्हों को,
आँखों मैं सजाओगे,
तन्हाई के शोलों मे,
जब आग लगी होगी
महसूस तुम्हे हर दम
फिर मेरी कमी होगी,
सावन की घटाओं का
जब शोर सुनोगे तुम,
बिखरे हुए माज़ी के
राग चुनोगे तुम
माहॉल के चेहरे पर
जब धूल जमी होगी
महसूस तुम्हे हर दम
फिर मेरी कमी होगी
जब नाम मेरा लोगे
तुम कांप रहे होगे
आंशूं भरे दामन से
मुँह ढांप रहे होगे
रंगीन घटाओं की
जब शाम घनी होगी
महसूस तुम्हें हर दम
फिर मेरी कमी होगी..............
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