Friday, November 26, 2010

हम एक दुनिया छोड़ आए हैं

मुहाजिर हैं मगर हम एक दुनिया छोड़ आए हैं,
तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ आए हैं!

कहानी का ये हिस्सा आजतक सब से छुपाया है,
कि हम मिट्टी की ख़ातिर अपना सोना छोड़ आए हैं!

नई दुनिया बसा लेने की इक कमज़ोर चाहत में,
पुराने घर की दहलीज़ों को सूना छोड़ आए हैं!

अक़ीदत से कलाई पर जो इक बच्ची ने बाँधी थी,
वो राखी छोड़ आए हैं वो रिश्ता छोड़ आए हैं!

किसी की आरज़ू के पाँवों में ज़ंजीर डाली थी,
किसी की ऊन की तीली में फंदा छोड़ आए हैं!

पकाकर रोटियाँ रखती थी माँ जिसमें सलीक़े से,
निकलते वक़्त वो रोटी की डलिया छोड़ आए हैं!

जो इक पतली सड़क उन्नाव से मोहान जाती है,
वहीं हसरत के ख़्वाबों को भटकता छोड़ आए हैं!

यक़ीं आता नहीं, लगता है कच्ची नींद में शायद,
हम अपना घर गली अपना मोहल्ला छोड़ आए हैं!

हमारे लौट आने की दुआएँ करता रहता है,
हम अपनी छत पे जो चिड़ियों का जत्था छोड़ आए हैं!

हमें हिजरत की इस अन्धी गुफ़ा में याद आता है,
अजन्ता छोड़ आए हैं एलोरा छोड़ आए हैं!

सभी त्योहार मिलजुल कर मनाते थे वहाँ जब थे,
दिवाली छोड़ आए हैं दशहरा छोड़ आए हैं!

हमें सूरज की किरनें इस लिए तक़लीफ़ देती हैं,
अवध की शाम काशी का सवेरा छोड़ आए हैं!

गले मिलती हुई नदियाँ गले मिलते हुए मज़हब,
इलाहाबाद में कैसा नज़ारा छोड़ आए हैं!

हम अपने साथ तस्वीरें तो ले आए हैं शादी की,
किसी शायर ने लिक्खा था जो सेहरा छोड़ आए हैं!
By:- मुनव्वर राना

Wednesday, November 24, 2010

है नमन उनको

"यह कविता आप के बलिदान के सामने कुछ भी नहीं ... बस एक प्रणाम भर है मेरी पीढी का और हिंदी कविता का .... आप के चरणों में शत शत नमन .... आप सदा हमारे हीरो रहेंगे ..."
Dr. Kumar Vishwas



है नमन उनको की जो यशकाय को अमरत्व देकर
इस जगत के शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं

है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये हैं

है नमन उस देहरी पको जिस पर तुम खेले कन्हैया
घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये हैं

है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय ....
हमने भेजे हैं सिकन्दर सिर झुकाए मात खाऐ

हमसे भिडते हैं हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है
नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी

सिंह के दांतों से गिनती सीखने वालों के आगे
शीश देने की कला में क्या गजब है क्या नया है

जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी
उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है

है नमन उनको की जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन
काल कऔतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये हैं

है नमन उनको की जिनके सामने बोना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये हैं

लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे
विजय के उदघोष, गीता के कथन तुमको नमन है

राखियों की प्रतीक्षा , सिन्दूरदानों की व्यथाऒं
देशहित प्रतिबद्ध यौवन कै सपन तुमको नमन है

बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे
पिता के व्रत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है

है नमन उनको की जिनको काल पाकर हुआ पावन
शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये हैं

कंचनी तन, चन्दनी मन , आह, आँसू , प्यार ,सपने,
राष्ट्र के हित कर चले सब कुछ हवन तुमको नमन है

है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये
By:- Dr. Kumar Vishwas

तुम अगर नहीं आयीं

तुम अगर नहीं आयीं, गीत गा ना पाऊँगा|
साँस साथ छोडेगी, सुर सजा ना पाऊँगा|

तान भावना की है, शब्द-शब्द दर्पण है,
बाँसुरी चली आओ, होट का निमन्त्रण है|

तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है,
तीर पार कान्हा से दूर राधिका सी है|

दूरियाँ समझती हैं दर्द कैसे सहना है?
आँख लाख चाहे पर होठ को ना कहना है|

औषधी चली आओ, चोट का निमन्त्रण है,
बाँसुरी चली आओ होठ का निमन्त्रण है|

तुम अलग हुयीं मुझसे साँस की खताओं से,
भूख की दलीलों से, वक़्त की सजाओं ने|

रात की उदासी को, आँसुओं ने झेला है,
कुछ गलत ना कर बैठे मन बहुत अकेला है|

कंचनी कसौटी को खोट ना निमन्त्रण है|
बाँसुरी चली आओ होठ का निमन्त्रण है|

By:- Dr. Kumar Vishwas

Monday, November 22, 2010

आखिर क्यों है यह प्यार

आखिर क्यों है यह प्यार
कितना भयानक है प्यार
हमें असहाय और अकेला बनाता
हमारे हृदय पटों को खोलता
बेशुमार दुनियावी हमलों के मुकाबिल
खड़ा कर देता हुआ निहत्था
कि आपके अंतर में प्रवेश कर
उथल पुथल मचा दे कोई भी अनजाना
और एक निकम्मे प्रतिरोध के बाद
चूक जाएं आप
कि आप ही की तरह का एक मानुष
महामानव बनने को हो आता
आपको विराट बनाता हुआ
वह आपसे कुछ मांगता नहीं
पर आप हो आते तत्पर सबकुछ देने को उसे
दुहराते कुछ आदिम व्यवहार
मसलन ...
आलिंगन
चुंबन
सित्कार

बंधक बनाते एक दूसरे को
डूबते चले जाते
एक धुधलके में

हंसते या रोते हुए
दुहराते
कि नहीं मरता है प्यार
कल्पना से यथार्थ में आता
प्यार
दिलो दिमाग को
त्रस्त करता
अंततः जकड लेता है
आत्मा को
और खुद को मारते हुए
उस अकाट्य से दर्द को
अमर कर जाते हैं हम...

By:- अरुणा राय

Friday, November 19, 2010

बिस्तरों से गुज़री है ।।

प्यार की उम्र फ़कत हादसों से गुज़री है ।
ओस है, जलते हुए पत्थरों से गुज़री है ।।

दिन तो काटे हैं, तुझे भूलने की कोशिश में
शब मगर मेरी, तेरे ही ख़तों से गुज़री है ।।

ज़िंदगी और ख़ुदा का, हमने ही रक्खा है भरम
बात तो बारहा, वरना हदों से गुज़री है ।।

कोई भी ढाँक सका न, वफ़ा का नंगा बदन
ये भिखारन तो हज़ारों घरों से गुज़री है ।।

हादसों से जहाँ लम्हों के, जिस्म छिल जाएँ
ज़िंदगी इतने तंग रास्तों से गुज़री है ।।

ये सियासत है, भले घर की बहू-बेटी नहीं
ये तवायफ़ तो, कई बिस्तरों से गुज़री है ।।

जब से सूरज की धूप, दोपहर बनी मुझपे
मेरी परछाई, मुझसे फ़ासलों से गुज़री है

अक्सर हम भूल जाते हैं!!!!!!!!!!!!

अक्सर हम भूल जाते हैं चाबियाँ
जो किसी खजाने की नहीं होती
अक्सर रह जाता है हमारा कलम
किसी अनजान के पास
जिससे वह नहीं लिखेगा कविता

अक्सर हम भूल जाते हैं
उन मित्रों के टेलीफ़ोन नंबर
जिनसे हम रोज़ मिलते है
डायरी में मिलते है
उन के टेलीफ़ोन नंबर
जिन्हें हम कभी फ़ोन नहीं करते

अक्सर हम भूल जाते हैं
रिश्तेदारों के बदले हुए पते
याद रहती है रिश्तेदारी

अक्सर याद नहीं रहते
पुरानी अभिनेत्रियों के नाम
याद रहते है उनके चेहरे

अक्सर हम भूल जाते हैं
पत्नियों द्वारा बताये काम
याद रहती है बच्चों की फरमाइश

हम किसी दिन नहीं भूलते
सुबह दफ़्तर जाना
शाम को बुद्धुओं की तरह
घर लौट आना

Sunday, November 14, 2010

Tumhari Yaad Mujhe Satati Hai

To Kyon Tumhari Yaad Mujhe Satati Hai
Aati Hai Aur Tumhi Mein Simatkar Chali Jaati Hai

Kyon Yaadon Par Har Vakt Tumhara Pahara Rahta Hai
Aur Is Dil Ko Tumhare Pyaar Ka Aasra Rahta Hai

Tumne Kiya Ikraar Kai Baar
Maine Kiya Inkaar Aur Hui Mere Dil Se Meri Takraar

Tum Ise Na Janoge Kyonkii
Jaan Tum Mujhe Na Samajh Paoge

Tumhe Lakh Samjhaya Na Karo Mujhpar Ietbaar
Tumne Kaha Kaise Na Karoon Jab Pyaar Hai Tumse Harbaa

Intezaar Yeh Ehsaas Jitna Sunne Mein Acha Hai
Utna Hi Karne Mein Bura Hai

Tum Rehte Ho Harvakt Tanhai Mein, Tanhai Ke Saath
Yeh Tanhai Tumhe Mili Hai Meri Mohabat Mein Sogaat

Pehle Main Tumhe Janti Thi Ab Pehchanti Hoon
Tumhari Jubaan Kuch Nahi Par

Tumhari Aankhen Harbaar Ek Ansuna Fasaana Bayaan Karti Hain
Main Jaankar Anjani Nahi Hoon

Main Tumhari Kabhi Ho Sakne Wali Kismat Suhani Bhi Nahi Hoon
Mushkil Hai Bada Mushkil Chaahat Ko Bhula Dena

Aasan Nahi Yeh Aag Bhujha Dena
Uljhan Aur Kuch Nahi Par Hum Tumhe Naa Bhul Payenge
Mumkin To Nahi Lekin Tum Hume Bhula Dena

Yaadein Bhi Ajeeb Hoti

Yaadein Bhi Ajeeb Hoti Hai Jab Nahi Hota Koi Paas,
Toh Yaadein Hoti Hai Yu Toh Saath Rehkar Bhar
Bhi Koi Saath Nahi Rahta Kehne Ko Bahut Kuch Hota Hai,
Par Ankaha Reh Jata Hai Bichad Jane Par Bhi,
Fariyaad Hoti Hai Yaadein Bhi Ajeeb Hoti Hai,
Jab Nahi Hota Koi Paas Toh Yaadein Aati Hai
Zindagi Ek Safar Hai Guzar Hi Jayega,
Waqt Toh Waqt Hai Kat Hi Jayega.
Hamsafar Hamesha Yaado Ki Parchai Hoti Hai,
Yaadien Bhi Ajeeb Hoti Hai Jab Nahi Hota Koi Paas,
Toh Yaadein Hoti Hai Kabhi Ek Lamhe Ki Haseen Dastan Hoti Hai,
Toh Kabhi Nazar Bankar Aansu Mein Pirothi Hai,
Kadwi Ho Ya Methi Dil Ke Kisi Kone Mein Rehti Hai,
Kabhi Kashish Hoti Hai Toh Kabhi Chuban Hoti Hai
Yaadein Bhi Ajeeb Hoti Hai Jab Nahi Hota Koi Paas,

बैचेन रहने की आदत

लोगों की हमेशा बेचैन रहने की
आदत ऐसी हो गयी है कि
जरा से सुकून मिलने पर भी
डर जाते हैं,
कहीं कम न हो जाये
दूसरों के मुकाबले
सामान जुटाने की हवस
अभ्यास बना रहे लालच का
इसलिये एक चीज़ मिलने पर
दूसरी के लिये दौड़ जाते हैं।