Wednesday, December 29, 2010

"काँच की बरनी और दो कप चाय"

जीवन में जब सब कुछ एक साथ और जल्दी - जल्दी करने की इच्छा होती है , सब कुछ तेजी
से पा लेने की इच्छा होती है , और हमें लगने लगता है कि दिन के चौबीस घंटे भी कम
पड़ते हैं , उस समय ये बोध कथा , " काँच की बरनी और दो कप चाय " हमें याद आती
है ।

दर्शनशास्त्र के एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे
आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं ...

उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी़ बरनी ( जार ) टेबल पर रखा और उसमें
टेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची ...
उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई ? हाँ ...
आवाज आई ... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे - छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये h धीरे - धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी , समा गये ,
फ़िर से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्या अब बरनी भर गई है , छात्रों ने एक बार फ़िर हाँ ... कहा
अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले - हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु किया , वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई , अब छात्र अपनी नादानी पर हँसे ...
फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्यों अब तो यह बरनी पूरी भर गई ना ? हाँ
.. अब तो पूरी भर गई है .. सभी ने एक स्वर में कहा ..
सर ने टेबल के नीचे से
चाय के दो कप निकालकर उसमें की चाय जार में डाली , चाय भी रेत के बीच स्थित
थोडी़ सी जगह में सोख ली गई ...

प्रोफ़ेसर साहब ने गंभीर आवाज में समझाना शुरु किया –


इस काँच की बरनी को तुम लोग अपना जीवन समझो ....

टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग अर्थात भगवान , परिवार , बच्चे , मित्र , स्वास्थ्य और शौक हैं ,

छोटे कंकर मतलब तुम्हारी नौकरी , कार , बडा़ मकान आदि हैं , और

रेत का मतलब और भी छोटी - छोटी बेकार सी बातें , मनमुटाव , झगडे़ है ..

अब यदि तुमने काँच की बरनी में सबसे पहले रेत भरी होती तो टेबल टेनिस की गेंदों और कंकरों के लिये जगह ही नहीं बचती , या कंकर भर दिये होते तो गेंदें नहीं भर पाते , रेत जरूर आ सकती थी ...
ठीक यही बात जीवन पर लागू होती है ... यदि तुम छोटी - छोटी बातों के पीछे पडे़ रहोगे
और अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करोगे तो तुम्हारे पास मुख्य बातों के लिये अधिक समय
नहीं रहेगा ... मन के सुख के लिये क्या जरूरी है ये तुम्हें तय करना है । अपने
बच्चों के साथ खेलो , बगीचे में पानी डालो , सुबह पत्नी के साथ घूमने निकल जाओ ,
घर के बेकार सामान को बाहर निकाल फ़ेंको , मेडिकल चेक - अप करवाओ ...
टेबल टेनिस गेंदों की फ़िक्र पहले करो , वही महत्वपूर्ण है ... पहले तय करो कि क्या जरूरी है
... बाकी सब तो रेत है ..
छात्र बडे़ ध्यान से सुन रहे थे .. अचानक एक ने पूछा , सर लेकिन आपने यह नहीं बताया
कि " चाय के दो कप " क्या हैं ?
प्रोफ़ेसर मुस्कुराये , बोले .. मैं सोच ही रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं किया ... इसका उत्तर यह है कि , जीवन हमें कितना ही परिपूर्ण और संतुष्ट लगे , लेकिन
अपने खास मित्र के साथ दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिये ।

Wednesday, December 22, 2010

किसी आहू के लिये दूर तलक मत जाना

किसी आहू के लिये दूर तलक मत जाना
शाहज़ादे कहीं जंगल में भटक मत जाना

इम्तहां लेंगे यहाँ सब्र का दुनिया वाले
मेरी आँखों ! कहीं ऐसे में चलक मत जाना

जिंदा रहना है तो सड़कों पे निकलना होगा
घर के बोसीदा किवाड़ों से चिपक मत जाना

कैंचियां ढ़ूंढ़ती फिरती हैं बदन खुश्बू का
खारे सेहरा कहीं भूले से महक मत जाना

ऐ चरागों तुम्हें जलना है सहर होने तक
कहीं मुँहजोर हवाओं से चमक मत जाना

By:- राहत इन्दौरी

आओगी तुम मुस्कराकर

बीता रात का तीसरा पहर
तुम नहीं आए
आधा हुआ चंदा पिघलकर
तुम नहीं आए

मै अकेला हूँ यहाँ पर
यादो की चादर ओढ़कर
रात भर पीता रहा
ओस में चाँदनी घोलकर

फूल खिले है ताज़ा या तुम
अपने होठ भिगोए हो
हवा हुई है गीली-सी क्यों
शायद तुम भी रोए हो

अब सही जाती नहीं प्रिय
एक पल की भी जुदाई
देखकर बैठा अकेला
मुझ पे हँसती है जुन्हाई

बुलबुलें भी उड़ गई हैं
रात सारी गीत गाकर
किन्तु मुझको है भरोसा
आओगी तुम मुस्कराकर

किन्तु मुझको है भरोसा
आओगी तुम मुस्कराकर


By:- पवन कुमार मिश्र

इक बार कहो ना मीत मेरे.

इक बात चाहता हूँ सुनना
तुम जब-जब बाते करती हो
इक बार कहो ना मीत मेरे
तुम मुझसे मुहब्बत करती हो

इस दिल को कैसे समझाऊँ
लोगो को क्या मैं बतलाऊँ
है पूछ रहा ये जग सारा
तुम मेरी क्या लगती हो

इक बार कहो ना मीत मेरे
तुम मुझसे मुहब्बत करती हो

इक नए विश्व कि रचना कर दूँ
और अंतहीन आकाश बना दूँ
इक बार काँपते होठों से
तुम कह दो मेरी धरती हो

इक बार कहो ना मीत मेरे
तुम मुझसे मुहब्बत करती हो

याद तुम्हारी छू जाती है
मन में अकुलाहट भर जाती है
इस पार हूँ मै उस पार खड़ी तुम
बीच में नदिया बहती है

इक बार कहो ना मीत मेरे
तुम मुझसे मुहब्बत करती हो

बात ज़बाँ की दिल कहता है
कहो ना कहो ये सब सुनता है
चाँद बताता है मुझको तुम
सदियों से मुझ पर मरती हो

इक बार कहो ना मीत मेरे
तुम मुझसे मुहब्बत करती हो

By:- पवन कुमार मिश्र

Sunday, December 19, 2010

नींद

नींद उस बच्चे की
जिसे परियाँ खिला रहीं हैं
मुस्कान उसके चेहरे पर
सुबह की किरणों की तरह खिली हुई हैं

नींद उस नौजवान की
जिसकी आँखों में करवट बदल रही है
एक सूखती हुई नदी

नींद उस किसान की
जो रात भर
बिवाई की तरह फटे खेतों में
हल जोतकर लौटा है अभी

नींद उस युवती की
जिसके अन्दर
सपनों का समुद्र पछाड़ खा रहा है

नींद उस बूढ़े की
जिसकी आँखों में
एक भूतहा खण्डहर बचा है
खण्डहर की ईंटों की रखवाली में
वह रातभर खाँसता रहता है

किसिम-किसिम की होती है नींद
हर नींद के बाद जागना होता है
जिस नींद के बाद
जागने की गुँजाईश नहीं होती है
वह मौत होती है।

By:- प्रदीप मिश्र

ऐसा कैसे होता है

हम भी बच्चे तुम भी बच्चे
क्या हममें तुममें भेद

भेद बहुत है हममें तुममें
सुन्दर कपड़े, अच्छा खाना
बढ़िया सा स्कूल
पढ़ लिखकर तुम आगे बढ़ते
हम रोजी-रोटी में गुल

क्योंकर ऐसा होता है
ऐसा कैसे होता है
मानव-मानव सभी एक हैं
सबमें एक सा प्राण
फिर क्यों तुम इतनी मस्ती में
हम हैं लस्त-पस्त निस्प्राण

बच्चों के इन प्रश्नों-प्रतिप्रश्नों में
रेंग रहें हैं सांप

सांपों के पीछे-पीछे
दौड़-भाग करते लोगों में
छंदों जैसा कुछ भी नहीं है
किसी पंक्ति में
किसी सिरे में
कोई ताल-मेल नहीं है

हम भी बच्चे तुम भी बच्चे
फिर भी भेद अनेक
समझ सको तो समझ के चलना
गड्ढों को तुम भरते चलना
मिट जाएगा भेद

हम भी बच्चे तुम भी बच्चे
क्या हममें तुममें भेद ।

By:- प्रदीप मिश्र

मुझे शब्द चाहिए

हँसना चाहता हूँ
इतनी ज़ोर की हँसी चाहिए
जिसकी बाढ़ में बह जाए
मन की सारी कुण्ठाएँ

रोना चाहता हूँ
इतनी करुणा चाहिए कि
उसकी नमी से
खेत में बदल जाए सारा मरूस्थल

चिल्लाना चाहता हूँ
इतनी तीव्रता चाहिए जिससे
सामने खड़ी चट्टान में
दरार पड़ जाए

बात करना चाहता हूँ
ऐसे शब्द चाहिए
जो हमारे रगों में बहें

जैसे बहती रहती है नदी
पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे अन्दर निरंतर
जैसे भीनता रहती है वायु
फेफड़ों की सतह पर

बात करना चाहता हूँ
मुझे वायु जैसे शब्द चाहिए
और नदी जैसी भाषा
By:- प्रदीप मिश्र

Friday, November 26, 2010

हम एक दुनिया छोड़ आए हैं

मुहाजिर हैं मगर हम एक दुनिया छोड़ आए हैं,
तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ आए हैं!

कहानी का ये हिस्सा आजतक सब से छुपाया है,
कि हम मिट्टी की ख़ातिर अपना सोना छोड़ आए हैं!

नई दुनिया बसा लेने की इक कमज़ोर चाहत में,
पुराने घर की दहलीज़ों को सूना छोड़ आए हैं!

अक़ीदत से कलाई पर जो इक बच्ची ने बाँधी थी,
वो राखी छोड़ आए हैं वो रिश्ता छोड़ आए हैं!

किसी की आरज़ू के पाँवों में ज़ंजीर डाली थी,
किसी की ऊन की तीली में फंदा छोड़ आए हैं!

पकाकर रोटियाँ रखती थी माँ जिसमें सलीक़े से,
निकलते वक़्त वो रोटी की डलिया छोड़ आए हैं!

जो इक पतली सड़क उन्नाव से मोहान जाती है,
वहीं हसरत के ख़्वाबों को भटकता छोड़ आए हैं!

यक़ीं आता नहीं, लगता है कच्ची नींद में शायद,
हम अपना घर गली अपना मोहल्ला छोड़ आए हैं!

हमारे लौट आने की दुआएँ करता रहता है,
हम अपनी छत पे जो चिड़ियों का जत्था छोड़ आए हैं!

हमें हिजरत की इस अन्धी गुफ़ा में याद आता है,
अजन्ता छोड़ आए हैं एलोरा छोड़ आए हैं!

सभी त्योहार मिलजुल कर मनाते थे वहाँ जब थे,
दिवाली छोड़ आए हैं दशहरा छोड़ आए हैं!

हमें सूरज की किरनें इस लिए तक़लीफ़ देती हैं,
अवध की शाम काशी का सवेरा छोड़ आए हैं!

गले मिलती हुई नदियाँ गले मिलते हुए मज़हब,
इलाहाबाद में कैसा नज़ारा छोड़ आए हैं!

हम अपने साथ तस्वीरें तो ले आए हैं शादी की,
किसी शायर ने लिक्खा था जो सेहरा छोड़ आए हैं!
By:- मुनव्वर राना

Wednesday, November 24, 2010

है नमन उनको

"यह कविता आप के बलिदान के सामने कुछ भी नहीं ... बस एक प्रणाम भर है मेरी पीढी का और हिंदी कविता का .... आप के चरणों में शत शत नमन .... आप सदा हमारे हीरो रहेंगे ..."
Dr. Kumar Vishwas



है नमन उनको की जो यशकाय को अमरत्व देकर
इस जगत के शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं

है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये हैं

है नमन उस देहरी पको जिस पर तुम खेले कन्हैया
घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये हैं

है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय ....
हमने भेजे हैं सिकन्दर सिर झुकाए मात खाऐ

हमसे भिडते हैं हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है
नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी

सिंह के दांतों से गिनती सीखने वालों के आगे
शीश देने की कला में क्या गजब है क्या नया है

जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी
उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है

है नमन उनको की जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन
काल कऔतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये हैं

है नमन उनको की जिनके सामने बोना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये हैं

लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे
विजय के उदघोष, गीता के कथन तुमको नमन है

राखियों की प्रतीक्षा , सिन्दूरदानों की व्यथाऒं
देशहित प्रतिबद्ध यौवन कै सपन तुमको नमन है

बहन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे
पिता के व्रत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है

है नमन उनको की जिनको काल पाकर हुआ पावन
शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गये हैं

कंचनी तन, चन्दनी मन , आह, आँसू , प्यार ,सपने,
राष्ट्र के हित कर चले सब कुछ हवन तुमको नमन है

है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पडे पर आसमानी हो गये
By:- Dr. Kumar Vishwas

तुम अगर नहीं आयीं

तुम अगर नहीं आयीं, गीत गा ना पाऊँगा|
साँस साथ छोडेगी, सुर सजा ना पाऊँगा|

तान भावना की है, शब्द-शब्द दर्पण है,
बाँसुरी चली आओ, होट का निमन्त्रण है|

तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है,
तीर पार कान्हा से दूर राधिका सी है|

दूरियाँ समझती हैं दर्द कैसे सहना है?
आँख लाख चाहे पर होठ को ना कहना है|

औषधी चली आओ, चोट का निमन्त्रण है,
बाँसुरी चली आओ होठ का निमन्त्रण है|

तुम अलग हुयीं मुझसे साँस की खताओं से,
भूख की दलीलों से, वक़्त की सजाओं ने|

रात की उदासी को, आँसुओं ने झेला है,
कुछ गलत ना कर बैठे मन बहुत अकेला है|

कंचनी कसौटी को खोट ना निमन्त्रण है|
बाँसुरी चली आओ होठ का निमन्त्रण है|

By:- Dr. Kumar Vishwas

Monday, November 22, 2010

आखिर क्यों है यह प्यार

आखिर क्यों है यह प्यार
कितना भयानक है प्यार
हमें असहाय और अकेला बनाता
हमारे हृदय पटों को खोलता
बेशुमार दुनियावी हमलों के मुकाबिल
खड़ा कर देता हुआ निहत्था
कि आपके अंतर में प्रवेश कर
उथल पुथल मचा दे कोई भी अनजाना
और एक निकम्मे प्रतिरोध के बाद
चूक जाएं आप
कि आप ही की तरह का एक मानुष
महामानव बनने को हो आता
आपको विराट बनाता हुआ
वह आपसे कुछ मांगता नहीं
पर आप हो आते तत्पर सबकुछ देने को उसे
दुहराते कुछ आदिम व्यवहार
मसलन ...
आलिंगन
चुंबन
सित्कार

बंधक बनाते एक दूसरे को
डूबते चले जाते
एक धुधलके में

हंसते या रोते हुए
दुहराते
कि नहीं मरता है प्यार
कल्पना से यथार्थ में आता
प्यार
दिलो दिमाग को
त्रस्त करता
अंततः जकड लेता है
आत्मा को
और खुद को मारते हुए
उस अकाट्य से दर्द को
अमर कर जाते हैं हम...

By:- अरुणा राय

Friday, November 19, 2010

बिस्तरों से गुज़री है ।।

प्यार की उम्र फ़कत हादसों से गुज़री है ।
ओस है, जलते हुए पत्थरों से गुज़री है ।।

दिन तो काटे हैं, तुझे भूलने की कोशिश में
शब मगर मेरी, तेरे ही ख़तों से गुज़री है ।।

ज़िंदगी और ख़ुदा का, हमने ही रक्खा है भरम
बात तो बारहा, वरना हदों से गुज़री है ।।

कोई भी ढाँक सका न, वफ़ा का नंगा बदन
ये भिखारन तो हज़ारों घरों से गुज़री है ।।

हादसों से जहाँ लम्हों के, जिस्म छिल जाएँ
ज़िंदगी इतने तंग रास्तों से गुज़री है ।।

ये सियासत है, भले घर की बहू-बेटी नहीं
ये तवायफ़ तो, कई बिस्तरों से गुज़री है ।।

जब से सूरज की धूप, दोपहर बनी मुझपे
मेरी परछाई, मुझसे फ़ासलों से गुज़री है

अक्सर हम भूल जाते हैं!!!!!!!!!!!!

अक्सर हम भूल जाते हैं चाबियाँ
जो किसी खजाने की नहीं होती
अक्सर रह जाता है हमारा कलम
किसी अनजान के पास
जिससे वह नहीं लिखेगा कविता

अक्सर हम भूल जाते हैं
उन मित्रों के टेलीफ़ोन नंबर
जिनसे हम रोज़ मिलते है
डायरी में मिलते है
उन के टेलीफ़ोन नंबर
जिन्हें हम कभी फ़ोन नहीं करते

अक्सर हम भूल जाते हैं
रिश्तेदारों के बदले हुए पते
याद रहती है रिश्तेदारी

अक्सर याद नहीं रहते
पुरानी अभिनेत्रियों के नाम
याद रहते है उनके चेहरे

अक्सर हम भूल जाते हैं
पत्नियों द्वारा बताये काम
याद रहती है बच्चों की फरमाइश

हम किसी दिन नहीं भूलते
सुबह दफ़्तर जाना
शाम को बुद्धुओं की तरह
घर लौट आना

Sunday, November 14, 2010

Tumhari Yaad Mujhe Satati Hai

To Kyon Tumhari Yaad Mujhe Satati Hai
Aati Hai Aur Tumhi Mein Simatkar Chali Jaati Hai

Kyon Yaadon Par Har Vakt Tumhara Pahara Rahta Hai
Aur Is Dil Ko Tumhare Pyaar Ka Aasra Rahta Hai

Tumne Kiya Ikraar Kai Baar
Maine Kiya Inkaar Aur Hui Mere Dil Se Meri Takraar

Tum Ise Na Janoge Kyonkii
Jaan Tum Mujhe Na Samajh Paoge

Tumhe Lakh Samjhaya Na Karo Mujhpar Ietbaar
Tumne Kaha Kaise Na Karoon Jab Pyaar Hai Tumse Harbaa

Intezaar Yeh Ehsaas Jitna Sunne Mein Acha Hai
Utna Hi Karne Mein Bura Hai

Tum Rehte Ho Harvakt Tanhai Mein, Tanhai Ke Saath
Yeh Tanhai Tumhe Mili Hai Meri Mohabat Mein Sogaat

Pehle Main Tumhe Janti Thi Ab Pehchanti Hoon
Tumhari Jubaan Kuch Nahi Par

Tumhari Aankhen Harbaar Ek Ansuna Fasaana Bayaan Karti Hain
Main Jaankar Anjani Nahi Hoon

Main Tumhari Kabhi Ho Sakne Wali Kismat Suhani Bhi Nahi Hoon
Mushkil Hai Bada Mushkil Chaahat Ko Bhula Dena

Aasan Nahi Yeh Aag Bhujha Dena
Uljhan Aur Kuch Nahi Par Hum Tumhe Naa Bhul Payenge
Mumkin To Nahi Lekin Tum Hume Bhula Dena

Yaadein Bhi Ajeeb Hoti

Yaadein Bhi Ajeeb Hoti Hai Jab Nahi Hota Koi Paas,
Toh Yaadein Hoti Hai Yu Toh Saath Rehkar Bhar
Bhi Koi Saath Nahi Rahta Kehne Ko Bahut Kuch Hota Hai,
Par Ankaha Reh Jata Hai Bichad Jane Par Bhi,
Fariyaad Hoti Hai Yaadein Bhi Ajeeb Hoti Hai,
Jab Nahi Hota Koi Paas Toh Yaadein Aati Hai
Zindagi Ek Safar Hai Guzar Hi Jayega,
Waqt Toh Waqt Hai Kat Hi Jayega.
Hamsafar Hamesha Yaado Ki Parchai Hoti Hai,
Yaadien Bhi Ajeeb Hoti Hai Jab Nahi Hota Koi Paas,
Toh Yaadein Hoti Hai Kabhi Ek Lamhe Ki Haseen Dastan Hoti Hai,
Toh Kabhi Nazar Bankar Aansu Mein Pirothi Hai,
Kadwi Ho Ya Methi Dil Ke Kisi Kone Mein Rehti Hai,
Kabhi Kashish Hoti Hai Toh Kabhi Chuban Hoti Hai
Yaadein Bhi Ajeeb Hoti Hai Jab Nahi Hota Koi Paas,

बैचेन रहने की आदत

लोगों की हमेशा बेचैन रहने की
आदत ऐसी हो गयी है कि
जरा से सुकून मिलने पर भी
डर जाते हैं,
कहीं कम न हो जाये
दूसरों के मुकाबले
सामान जुटाने की हवस
अभ्यास बना रहे लालच का
इसलिये एक चीज़ मिलने पर
दूसरी के लिये दौड़ जाते हैं।

Monday, September 20, 2010

Chale Aate Hai.......

Dosti Ke Nam Pe Diwane Chale Aate Hai.
Shama Ke Piche Parwane Chale Aate Hai.
Tumhe Yad Na Aayee Khair. Aana Meri Maut Par.
Us Din To Begane Bhi Chale Aate Hai.
`
Lamha lamha intzar kiya us lamhe ke liye
or woh lamha aya bhi to bus ek lamhe ke liye,
guzarish yehi hai khuda se ke kash woh
lamha fir aye 1 lamhe ke liye .
`
Mombati ke andar ka dhaga bola,
mai jalta hu to tu kyu pigalti hai?
Mombati boli, jisko dil me jagah di ho wo
bichade to ansoon to niklte hai.
`
Soch lene se pahley mein kar arz deta huin
shayari me yaaron dil ke raaz khol deta huin
kuch apni kuch unki kahaani bahut hain
mila mila kar kissey mein duniya ko bol deta hun..!!!
`
Tere bichadne ka dukh hum sah nahi sakte,
bhari mahfil me kuch kah nahi sakte,
hamare girte ansu pakad ke dekh,
wo bhi kahenge hum tere bina reh nahi sakte…

Saturday, September 11, 2010

Pahale pyar ka

Uss Pahale pyar ka
Pehala nasha…
Mujhko toh bada hii
Dilkash lagaa !!
Pehali naZar me hii
diL chura liya,
Aaisa lagaya nishana ki
Sidha dilpe laga !!
Julfoo kii ghhani chhav ne
Andhera kar diya..
AankhooN me bas gai unki surat
Aaisa kya usne jaadoo kar diya

Apni palko ko jhuka kar
ikraar-e-wafa diya diya
Ek pal me hii uss dilnashi ne
Hume apana kayal kar diya
Iss mausam-e-mohabbat me
boot se khade,
Dekhate reh gaye OMi…..

Uss hiranii ke yauwan ne use
Aaisa Nashaaboor kar diya..!!

bana diya karte hai ..

Shabdo ko tarash ke ghazal bana diya karte hai

hum chak-e-mohabbat par alfaaz siya karte hai


zara nazare bache ke chalna humse, hum woh hai

jo pehali nazar me hi dil chura liya karte hai


jinko berang kehati hai yeh duniya,hum to unhi

rango me rang mila tasveer bana diya karte hai



jin sharab ke paimano ko bewafa naam dete hai log

usi paimane me hum mohabbat mila piya karte hai



darate nahi hum inn sitamgaro se, hum woh hai

jo Subah-shaam ibaadat-e-khuda kiya karte hai



Shayar hai jara hat ke janab , ye to chand

lafzo ko mila ke hi geet bana liya karte hai

Fisal Gaye**

Har riste aaj haath se mere fisal gaye
chand lamho meiN vo kistarah badal gaye

ashQ ban ke chalkta tha jo aankhoN meiN
aaj palak jhapakate vo bhi nikal gaye

Mere dil ke aaine meiN unke Aks the baQi
Fir kyuN aaj har dhastkhat unke mital gaye

saath Basaii thi khawabo ki basti humne
KyuN aarmano k sej se vo khud fisal gaye

ek hawa ka jhonka gira gaya aashiyaN mera
vo toofaN seh kar bhi kaise sambhal gaye

pathhar dil bhi roya merii daastaN sun ker
aur vo rehguzar YouN muskurake Nikal gaye

aisi birah ki aag vo laga gaye daman meiN
Dil ki har khwahish ussi meiN jal gaye

Monday, August 30, 2010

**Ab Bhi Teri Aahat Per**



Zakhm Muskurate Hen Ab Bhi Teri Aahat Per
Dard Bhool Jate Hen Ab Bhi Teri Aahat Per

Shabnami Sitaroon Per Phool Khilne Lagte Hen
Chand Muskurate Hen Ab Bhi Teri Aahat Per

Umar Kat Di Lakin Bachpana Nai Jata
Hum Diye Jalate Hen Ab Bhi Teri Aahat Per

Teri Yaad Aaye To Neend Jati Rahti Hai
Hum Khushi Manate Hen Ab Bhi Teri Aahat Per

Ab Bhi Teri Aahat Per Chand Muskurata Hai
Khwab Gungunate Hen Ab Bhi Teri Aahat Per

Tere Hijr Me Hum Per Ik Aazab Taari hai
Chonk Chonk Jate Hen Ab Bhi Teri Aahat Per

Ab Bhi Teri Aahat Per Aass Lout Aati Hai
Ashq Hum Bahate Hen Ab Bhi Teri Aahat Per.

Tuesday, August 24, 2010

क्या है सच्चा प्यार ? आओ सुनो एक कहानी

एक चिडिया को एक सफ़ेद गुलाब से प्यार हो गया , उसने गुलाब को प्रपोस किया ,
गुलाब ने जवाब दिया की जिस दिन मै लाल हो जाऊंगा उस दिन मै तुमसे प्यार करूँगा ,
जवाब सुनके चिडिया गुलाब के आस पास काँटों में लोटने लगी और उसके खून से गुलाब लाल हो गया,
ये देखके गुलाब ने भी उससे कहा की वो उससे प्यार करता है पर तब तक चिडिया मर चुकी थी


इसीलिए कहा गया है की सच्चे प्यार का कभी भी इम्तहान नहीं लेना चाहिए,
क्यूंकि सच्चा प्यार कभी इम्तहान का मोहताज नहीं होता है ,
ये वो फलसफा; है जो आँखों से बया होता है ,

ये जरूरी नहीं की तुम जिसे प्यार करो वो तुम्हे प्यार दे ,
बल्कि जरूरी ये है की जो तुम्हे प्यार करे तुम उसे जी भर कर प्यार दो,
फिर देखो ये दुनिया जन्नत सी लगेगी
प्यार खुदा की ही बन्दगी है ,खुदा भी प्यार करने वालो के साथ रहता है,

प्यार क्या है

प्यार के एक पल ने जन्नत को दिखा दिया प्यार के उसी पल ने मुझे ता -उमर रुला दिया एक नूर की बूँद की तरह पिया हमने उस पल को एक उसी पल ने हमे खुदा के क़रीब ला दिया !!

जिधर जाते हैं सब ,उधर जाना अच्छा नही लगता... मुझे फरमान रास्तों का सफर अच्छा नही लगता


प्यार क्या है, एक राही की मंज़िल.......
एक बंज़र जमी पर, अमृत की प्यास......
पारस पत्थर को ढुँढ़नें की खोज.......
ना पूरा होने वाला एक सुंदर सपना.....
जैसे की बड़ा मुश्किल हो कोई मिलना....
खो के फिर ना पाया हो कहीं पाया .......
मिल के भी,जो ना हुआ हो अपना........

प्यार है इक एहसास...
दिल की धड़कनी को छूता राग...
या है पागल वसंती हवा कोई...
या है दिल में झिलमिल करती आशा कोई...
या प्यार है एक सुविधा से जीने की ललक...
जो देती है थके तन और मन को एक मुक्त गगन...

सच्चा प्रेम कभी प्रति-प्रेम नहीं चाहता।' कबीरदास

'पुरुष, प्यार अक्सर और थोड़ा करता है, किंतु स्त्री, प्यार सौभाग्य से और स्थाई करती है।'आचार्य रजनीश 'ओशो'

'जिस प्यार में प्यार करने की कोई हद नहीं होती और किसी तरह का पछतावा भी नहीं होता, वही उसका सच्चा रूप है।'
मीर तकी मीर

'प्यार एक भूत की तरह है, जिसके बारे में बातें तो सभी करते हैं, पर इसके दर्शन बहुत कम लोगों को हुए हैं।'
सिकंदर

'प्रेम कभी दावा नहीं करता, वह हमेशा देता है। प्रेम हमेशा कष्ट सहता है, न कभी झुंझलाता है और न ही कभी बदला लेता है।'
महात्मा गाँधी

'खूब किया मैंने दुनिया से प्रेम और मुझसे दुनिया ने, तभी तो मेरी मुस्कुराहट उसके होठों पर थी और उसके सभी आँसू मेरी आँखों में।' खलील जिब्रान

'प्रेम आँखों से नहीं ह्रदय से देखता है, इसीलिए प्रेम को अंधा कहा गया है।' शेक्सपीयर

'प्रेम के स्पर्श से हर कोई कवि बन जाता है।' अफलातून

'जहाँ प्रेम है, वहीं जीवन का सही रूप है।' अरस्तु

'प्यार आत्मा की खुराक है।' कंफ्यूशियस

'प्यार समर्पण और जिम्मेदारी का दूसरा नाम है।' बेकन

'जीवन में प्रेम का वही महत्व है जो फूल में खुशबू का होता है।' जॉर्ज बनार्ड शॉ

"प्यार " एक ऐसा एहसास

मेरे बोलों को तुम अपनी रवानी दे दो !!!
कुछ तो कहेगा दिल ये गर तलब इसे हुई,
ये बात और है कि तुम सुनो या ना सुनो,
मस्ती फिजां की देख के बहकेगा दिल ज़ुरूर,
बहके हुए इस दिल को तुम चुनो या ना चुनो!!

न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूँ दिल नवाज़ी की,
न तुम मेरी तरफ़ देखो ग़लत अंदाज़ नज़रों से,
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाये मेरी बातों में,
न ज़ाहिर हो तुम्हारी कशमकश का राज़ नज़रों से!!!

"प्यार " एक ऐसा एहसास, एक ऐसी भावना जिसका सिर्फ़ जिक्र किया जाए तो ये सारी जिंदगी कम है। प्यार ऐसी भावना जिसके नाम हम अपनी हर एक साँस भी लिख दे तो वो भी कम है। परंतु सबसे ज्यादा समस्या भी प्यार में उत्पन्न होती है। सबसे ज्यादा दिल भी प्यार में ही टूटते हैं। हम किसी से दिलोजान से प्यार करते हों वो हमें अचानक छोड़ दे, तो ऐसी स्थिति में जिन्दगी बेमानी लगने लगती है।"


माना कि बाहों में हो फूल सदा ,
ये जरूरी तो नही ।
काँटों का दर्द भी ,
कभी तो सहना होगा।
राहों में छाव हो सदा,
ये जरूरी तो नहीं।
धुप की चुभन में,
कभी तो रहना होगा ।
हंसी खिलती रहे सदा ,
ये जरूरी तो नहीं।
पलकों पर जमे अश्को को,
कभी तो बहना होगा।
हर पल रहे खुशनुमा सदा,
ये जरूरी तो नहीं,
थम सी गयी है जिन्दगी,
कभी तो कहना होगा।
पर तुम्हें खुश रहने की कोशिश तो करना होगा |

Monday, August 23, 2010

Kuch Likhna Chahata Hoon

Kuch Likhna Chahata Hoon
Sochta Hoon Kya Likhoon ?

Pholoon Ki Woh Mehakti Khushboo
Barish Ka Woh Bhega Pani
Aur Hawa Mein Thi Jo Rawani
Kya Uss Mousam Ka Khumaar Likhoon?

Kuch Likhna Chahata Hoon
Sochta Hoon Kya Likhoon?

Thi Chehrey Par Unkey Masomiyat
Aankhoon Mein Thi Thori Shararat
Aur Baatoon Mein Woh Nazakat
Kya Unka Rangeen Mizaaj Likhoon?

Kuch Likhna chahata Hoon
Sochta Hoon Kya Likhoon?

Unka Aaker Muskurana
Jo Rooth Jaon To Manana
Jate Jate Phir Rulana
Kya Unka Yeh Andaaz Likhoon?

Kuch Likhna Chahata Hoon
Sochta Hoon Kya Likhoon?

Yaadoon Mein Unkey Ashk Bahana
Her Shaam Ek Diya Jalana
Soi Umeed Ko Roz Jagana
Kya Unka Yeh Intezar Likhoon?

Kuch Likhna Chahata Hoon
Sochta Hoon Kya Likhon?

मत इंतज़ार कराओ

मत इंतज़ार कराओ हमे इतना
कि वक़्त के फैसले पर अफ़सोस हो जाये
क्या पता कल तुम लौटकर आओ
और हम खामोश हो जाएँ

दूरियों से फर्क पड़ता नहीं
बात तो दिलों कि नज़दीकियों से होती है
दोस्ती तो कुछ आप जैसो से है
वरना मुलाकात तो जाने कितनों से होती है

दिल से खेलना हमे आता नहीं
इसलिये इश्क की बाजी हम हार गए
शायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें
इसलिये मुझे जिंदा ही मार गए

मना लूँगा आपको रुठकर तो देखो,
जोड़ लूँगा आपको टूटकर तो देखो।
नादाँ हूँ पर इतना भी नहीं ,
थाम लूँगा आपको छूट कर तो देखो।

लोग मोहब्बत को खुदा का नाम देते है,
कोई करता है तो इल्जाम देते है।
कहते है पत्थर दिल रोया नही करते,
और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते है।

भीगी आँखों से मुस्कराने में मज़ा और है,
हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है,
बात कहके तो कोई भी समझलेता है,
पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है...!

मुस्कराना ही ख़ुशी नहीं होती,
उम्र बिताना ही ज़िन्दगी नहीं होती,
दोस्त को रोज याद करना पड़ता है,
दोस्ती कर लेनी हीं दोस्ती नहीं होती ....

अगर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं

अगर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं,
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं ,
रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया,
वोह एक बूँद आँख का पानी हूँ मैं.....
सबको प्यार देने की आदत है हमें,
अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे,
कितना भी गहरा जख्म दे कोई,
उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है हमें...
इस अजनबी दुनिया में अकेला ख्वाब हूँ मैं,
सवालो से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं,
जो समझ न सके मुझे, उनके लिए "कौन"
जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूँ मैं,
आँख से देखोगे तो खुश पाओगे,
दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूँ मैं,,,,,
"अगर रख सको तो निशानी, खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं"

Monday, August 16, 2010

कुछ हुआ और शयरी हो गई

कुछ हुआ और शयरी हो गई

"हम गर जीते नही आप की खतीर
पर एक बार मर तो सकते हैं
बातें ना हो आपसे गम नही
आपको याद कर तो सकते हैं "




"भूल जाओ मुझे गम नही
यादों में भी न आओ गम नही
बस जब लगी हो दोस्ती की महफिल
तेरे होटों पे एक बार - नाम मेरा आए ये ही कम नही "


" ज़िन्दगी लम्बी है कई मोड़ आयेंगे
यादों के साए हम ओढ़ आयेंगे
इजाज़त हो आपकी तो कह दें एक बात
आपके हर आँसू से पहले हम ख़ुद को रुलायेंगे"



"कीसी की याद इतनी आई
मेरे दिल को बहुत सताए
जब पुछा खुदा से वो कौन है
तब खुदा को उसकी बनाई
सबसे खूबसूरत चीज़ याद आई "


"गर हो दर्द तो मुझको बता देना

रोने की चाह हो तो मुझको रुला देना
खुसी की हो चाहत तो ऐ दोस्त बस एक बार
दिल से मुझे आवाज़ लगा देना"


"कोई तो होगा जो हमें याद करेगा
मेरे लिए भी फरियाद करेगा
तुम मुझे भूल जाओ तो क्या
कोई तो होगा कहीं जहाँ में
जो ता ज़िन्दगी मुझे याद करेगा"




आज फिर मौसम ऐ बहार आई
आज फिर तेरी याद आई
तेरी याद की खुशबू इस तरह महकी
आज फिर चांदनी मेरे आँगन में - उतर आई
ऐ दोस्त
आज फिर तेरी याद आई"



"सोचा न था तुम ज़िन्दगी में आओगे
मेरे जीवन में ऐसे बहार लाओगे
अब गम और दर्द की जगह नही अब बची
सोचा न था इतनी खुसी में मुझे डुबाओगे "



"zinda रहने की वजह ढूँढ़ते हैं
तुमसे मिलने की वजह ढूँढ़ते हैं
करते हैहर साँस तुम्हे पाने की दुआ
हर इंसान में हम अब तेरा
हाँ तेरा अक्स ढूंढते हैं"

Saturday, August 14, 2010

***ज़िन्दगी इश्क मे तबाह हो गई***

हम जुदा होंगे उस वक्‍त सोचा न था,
जब तुझे देखा था पहले पहल और ,
आज जब तुझे देखा तुझे मुमताज़ मेरी,
अश्को मे ढ्ल गया मेरे सपनो का ताजमहल.

तुम्हे जब मुझ से ज्यादा गैर प्यारें हैं,
फिर मेरी याद मे तुम तडपती क्यो हो,
तुमने ही पावंदी लगाई है मुलाकातो पर,
फिर अब राहें मेरी तुम तकती क्यों हो.

मैने पहले पहल जब देखा था तुम्हे,
तो मह्सूस हुआ था जिंदगी तुम हो,
फिज़ूल भटका फिरा हँ मै आज तक,
हकीकत मे तो मेरी बंदगी तुम हो.

तुम रहो उदास् यह मै सह नही सकता,
मज़बूर हँ इसलिए कुछ भी कह नही सकता,
तुमने दामन बचा लिया रस्मे वफा से वरना,
मै एक पल भी तुम बिन रह नही सकता.

कोई एक तो वादा निभा दिया होता,
मेरी वफाओ का कुछ तो सिला दिया होता,
तबाह करना था अगर प्यार मे मुझको,
खुद अपने हाथो से मुझे मिटा दिया होता

कोई गम नही एक तेरी जुदाई के सिवा,
मेरे हिस्से मे क्या आया तन्हाई के सिवा,
मिलन की रातें मिली, यूँ तो बेशुमार,
प्यार मे सबकुछ मिला शहनाई के सिवा.

पत्थर से दिल लगा कर बर्बाद हो गए,
दिल शाद था मगर अब नाशाद हो गाए,
जिनके वफाओं पर ऐतबार था 'योगेन्द्र',
करके हमे तबाह वह खुद आबाद हो गए।

बात मुद्दत के मुस्कुराने की रात आयी है,
हर एक वादा निभाने की रात आयी है,
वह जो दूर रहा करते थे साये से भी कभी,
सीने से उनको लगाने की रात आई हैं.

किसी परी की जवानी लगी थी तुम,
प्यार की एक कहानी लगी थी तुम,
सबूत तूम ही थी कुदरत के नूर का,
जीती जागती कोई निशानी लगी थी,

ज़िन्दगी हो गई हंसी तुम तो मिल गए मुझे,
हर एक पल को सजाने की रात आई है,
बरसो तडफाया था 'योगेन्द्र' को जिसने यारो,
आज उसी शोख को तडफाने की रात आई है,

तेरे प्यार को, तेरे चाहत तो सलाम,
कदमो को तेरे, तेरी आहट को सलाम.
जिस प्यार से तुने सवारी जिंदगी मेरी,
ऐ मेरे यार तेरी इस इनायत को सलाम.

वक्‍त के साथ हालात बदल जाते हैं,
अपनो तक के ख्यालात बद्ल जाते हैं,
जब बुरा वक्‍त आता है 'प्यारे'
खुद अपने ही ज़्ज़बात बदल जाते हैं.

Friday, August 13, 2010

*****फिर मेरी कमी होगी*****

गुलशन की बहारों मैं,
रंगीन नज़ारों मैं,
जब तुम मुझे ढूंढोगे,
आँखों मैं नमी होगी,
महसूस तुम्हें हर दम,
फिर मेरी कमी होगी......

आकाश पे जब तारे,
संगीत सुनाए गे,
बीते हुए लम्हों को,
आँखों मैं सजाओगे,
तन्हाई के शोलों मे,
जब आग लगी होगी
महसूस तुम्हे हर दम
फिर मेरी कमी होगी,

सावन की घटाओं का
जब शोर सुनोगे तुम,
बिखरे हुए माज़ी के
राग चुनोगे तुम
माहॉल के चेहरे पर
जब धूल जमी होगी
महसूस तुम्हे हर दम
फिर मेरी कमी होगी

जब नाम मेरा लोगे
तुम कांप रहे होगे
आंशूं भरे दामन से
मुँह ढांप रहे होगे
रंगीन घटाओं की
जब शाम घनी होगी
महसूस तुम्हें हर दम
फिर मेरी कमी होगी..............

शायरी खुद किताब होती है- -

पीर जब बेहिसाब होती है
शायरी लाजवाब होती है

इक न इक दिन तो ऐसा आता है
शक्ल हर बेनकाब होती है

चांदनी जिसको हम समझते हैं
गर्मी-ए-आफ़ताब होती है

बे मज़ा हैं सभी क़ुतुब खाने
शायरी खुद किताब होती है

शायरी तो करम है मालिक का
शायरी खुद किताब होती है

ये कैसी बेबसी

ना तुझे छोड़ सकते हैं तेरे हो भी नही सकते
ये कैसी बेबसी है आज हम रो भी नही सेकते

ये कैसा दर्द है पल पल हमें तडपाए रखता है
तुम्हारी याद आती है तो फिर सो भी नही सकते

चुपा सकते हैं और ना दिखा सकते हैं दागों को
कुछ ऐसे दाग हैं दिल पर जो हम धो भी नही सकते

कहा तो था छोड़ देगें तुम्हें, मगर फिर रुक गये
तुम्हें पा तो नही सकते, मगर खो भी नही सकते

हमारा एक होना भी नही मुमकिन रहा अब तो
जियें कैसे की तुम से दूर रह भी नही सकते!!!!!!

Thursday, August 12, 2010

हमें हाल-ए-दिल बताना नही आता !!!!!!!!!!

दिल से उनको भुलाना नहीं आता
हमको उनसे मिलने का बहाना नहीं आता !

दिल की दुनिया में झाँक लो
मेरे अरमानों की ख़बर क्या है तुमको???
मुझे उनके सामने कुछ भी बताना नही आता !

उनकी नाराज़गी किस तराह चुभती है
मेरे इस नाज़ुक से दिल को
हमें इस तकलीफ़ को लफ़्ज़ों में जताना नहीं आता !

हमसे तो कह गये के मोहब्बत में
तड़प को यूँ शामिल ना करो
सच तो येह है के आपको प्यार निभाना नहीं आता !

दिल के दरवाज़े को खोल कर देख लो
मेरे मेहबूब नाम किसका है लिखा
हमें वो नाम आपको पढ़ाना नहीं आता !

सारी दुनिया पर ज़ाहिर कर दिया
हमने अपना हाल-ए-दिल
हमें अपने दिल की हालत को छुपाना नहीं आता !

मोहब्बत को बन्दगी का नाम दिया है
उसे सादगी से पेश करेंगे
हमें वक़्त के साथ रंग बदलना नहीं आता, !

हमें हाल-ए-दिल बताना नही आता !

Wednesday, August 11, 2010

मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ ~~~~~

अपने होंठों पर सजाना चाहता हूँ
आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ

कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर
बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ

थक गया मैं करते-करते याद तुझको
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ

छा रहा है सारी बस्ती में अँधेरा
रोशनी हो, घर जलाना चाहता हूँ

आख़री हिचकी तेरे ज़ानों पे आये
मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ

Yogendra Pratap Singh

Tuesday, August 10, 2010

मुहाजिर हैं मगर

मुहाजिर हैं मगर हम एक दुनिया छोड़ आए हैं
तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ आए हैं

कहानी का ये हिस्सा आजतक सब से छुपाया है
कि हम मिट्टी की ख़ातिर अपना सोना छोड़ आए हैं

नई दुनिया बसा लेने की इक कमज़ोर चाहत में
पुराने घर की दहलीज़ों को सूना छोड़ आए हैं

अक़ीदत से कलाई पर जो इक बच्ची ने बाँधी थी
वो राखी छोड़ आए हैं वो रिश्ता छोड़ आए हैं

किसी की आरज़ू के पाँवों में ज़ंजीर डाली थी
किसी की ऊन की तीली में फंदा छोड़ आए हैं

पकाकर रोटियाँ रखती थी माँ जिसमें सलीक़े से
निकलते वक़्त वो रोटी की डलिया छोड़ आए हैं

जो इक पतली सड़क उन्नाव से मोहान जाती है
वहीं हसरत के ख़्वाबों को भटकता छोड़ आए हैं

यक़ीं आता नहीं, लगता है कच्ची नींद में शायद
हम अपना घर गली अपना मोहल्ला छोड़ आए हैं

हमारे लौट आने की दुआएँ करता रहता है
हम अपनी छत पे जो चिड़ियों का जत्था छोड़ आए हैं

हमें हिजरत की इस अन्धी गुफ़ा में याद आता है
अजन्ता छोड़ आए हैं एलोरा छोड़ आए हैं

सभी त्योहार मिलजुल कर मनाते थे वहाँ जब थे
दिवाली छोड़ आए हैं दशहरा छोड़ आए हैं

हमें सूरज की किरनें इस लिए तक़लीफ़ देती हैं
अवध की शाम काशी का सवेरा छोड़ आए हैं

गले मिलती हुई नदियाँ गले मिलते हुए मज़हब
इलाहाबाद में कैसा नज़ारा छोड़ आए हैं

हम अपने साथ तस्वीरें तो ले आए हैं शादी की
किसी शायर ने लिक्खा था जो सेहरा छोड़ आए हैं

Saturday, August 07, 2010

लड़खड़ाते हुए तुमने जिसे देखा होगा!!

लड़खड़ाते हुए तुमने जिसे देखा होगा
वो किसी शाख़ से टूटा हुआ पत्ता होगा

अजनबी शहर मैं सब कुछ ख़ुशी से हार चले
कल इसी बात पे घर-घर मेरा चर्चा होगा

ग़म नहीं अपनी तबाही का मुझे दोस्त मगर
उम्र भर वो भी मेरे प्यार को तरसा होगा

दामने ज़ीस्त फिर भीगा हुआ-सा आज लगे
फिर कोई सब्र का बादल कहीं बरसा होगा

क़ब्र मैं आ के सो गया हूँ इसलिए अय तपिश
उनकी गलियों मैं मरूंगा तो तमाशा होगा

~~~~~~Rajputana~~~~~~

हम मृतयु वरन करने वाले जब जब हथियार उठाते हैं
तब पानी से नहीं शोनीत से अपनी प्यास बुझाते हैं,

हम राजपूत वीरो का जब सोया अभिमान जगता हैं
तब महाकाल भी चरणों पे प्राणों की भीख मांगता हैं

THE SYMBOL OF "RAJPUT CULTURE".

उठाकर तलवार , जब घोड़े पे सवार होते है !
बाँध के साफा , जब तैयार होते है !
देखती है दुनिया छत पर चडके
ओर कहती है काश हम भी राजपूत होते.!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!


तो राजपूत जिया करते है, दिग्गजों को पछाड़ कर राज किया करते है, कौन रखता
है किसी के सर पर ताज, राजपूत तो अपना राज तिलक सवयम किया करते हे !

THE MEANING OF RAJPUT
R:-rakshaa aapno dharm
A:-agni aapni laaj
J:- jay aapno maksad
P:- prahaar aapnu swarup
U:- unnati aapni dhaal
T:- talwaar aanu shastra....

रात चौंधाई,दिन घबराया
जब इस धरती पर राजपूत आया !!

धरती भी डोली,आई सूरज पर भी छाया
जब इस धरती पर राजपूत आया !!

पहाडो को झुकाया,मौत को भी तड़पाया
जब इस धरती पर राजपूत आया !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
@@@@@@@@@I am proud I am born as a RAJPUT@@@@@@@@@@@@@@@@@@
Har Har Mahadev~~~~~~~~~~~~~Jay Mata Di!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

जख़्म दिल का

जख़्म दिल का नहीं भरा शायद,
दर्द सा कुछ अभी उठा शायद।

कहते-कहते वो रुक गया ऐसे,
अजनबी मैं उसे लगा शायद।

उसने यूँ ही निगाहें बदली हैं,
सच उसे भी नहीं पता शायद।

कल वो मुझको करेगा याद ऐसे,
नाम था एक अजीब सा शायद।

बिन कहे साथ छोड़ कर जाना,
याद होगा वो वाकया शायद।

जब वो लौटेगा तब ही मानेंगे,
है कहीं ना कहीं ख़ुदा शायद।

साथ वो लम्हे ले गया सारे,
और एक लफ्ज़ रह गया शायद।

Friday, August 06, 2010

**********दिल में अरमाँ जगा लिया मैंने**********

दिल में अरमाँ जगा लिया मैंने,
दिन ख़ुशी से बिता लिया मैंने।

इक समंदर को मुँह चिढ़ाना था,
रेत पर घर बना लिया मैंने।

अपने दिल को सुकून देने को,
इक परिन्दा उड़ा लिया मैंने।

आईने ढूंढ़ते फिरे मुझको,
ख़ुद को तुझ में छुपा लिया मैंने।

ओढ़कर मुस्कुराहटें लब पर,
आँसुओं का मज़ा लिया मैंने।

ऐ DIL चल समेट ले दामन
जो भी पाना था पा लिया मैंने।

Sunday, August 01, 2010

Frame Relay Configuration...........



Configuration of Frame Relay..............

DLCI Number:-
201 – 102 = Headoffice to Mumbai
301 - 103 = Headoffice to AHE
204 – 206 = AHE to Mumbai
Frame Relay Switch:-

FRS(Config)#frame-relay switching
FRS (Config)#int s0/0
FRS (Config-if) #encapsulation frame-relay
FRS (Config-if)#Frame-relay int-type dce
FRS (Config-if)#clock rate 64000
FRS (Config-if)#no frame-relay inverse-arp
FRS (Config-if)#frame-relay lmi-type cisco
FRS (Config-if)#no shut
FRS (Config-if)#frame-relay route 102 int s0/1 201
FRS (Config-if)#frame-relay router 103 int s0/2 301
FRS (Config)#int s0/1
FRS (Config-if) #encapsulation frame-relay
FRS (Config-if)#Frame-relay int-type dce
FRS (Config-if)#clock rate 64000
FRS (Config-if)#no frame-relay inverse-arp
FRS (Config-if)#frame-relay lmi-type cisco
FRS (Config-if)#no shut
FRS (Config-if)#frame-relay route 201 int s0/1 102
FRS (Config-if)#frame-relay router 206 int s0/2 204
FRS (Config)#int s0/2
FRS (Config-if) #encapsulation frame-relay
FRS (Config-if)#Frame-relay int-type dce
FRS (Config-if)#clock rate 64000
FRS (Config-if)#no frame-relay inverse-arp
FRS (Config-if)#frame-relay lmi-type cisco
FRS (Config-if)#no shut
FRS (Config-if)#frame-relay route 301 int s0/1 103
FRS (Config-if)#frame-relay router 204 int s0/2 206
Headoffice:-

Headoffice(config)#int s0/0
Headoffice(config-if)#ip address 10.0.0.1 255.255.255.0
Headoffice(config-if)#frame-relay int-type dte
Headoffice(config-if)#no frame-relay inverse-arp
Headoffice(config-if)#frame-relay map ip 10.0.0.2 102 broadcast
Headoffice(config-if)#frame- relay map ip 10.0.0.3 103 broadcast
Headoffice(config-if)#no shut
Mumbai:-

Mumbai(config)#int s0/0
Mumbai(config-if)#ip address 10.0.0.2 255.255.255.0
Mumbai (config-if)#frame-relay int-type dte
Mumbai (config-if)#no frame-relay inverse-arp
Mumbai (config-if)#frame-relay map ip 10.0.0.1 201 broadcast
Mumbai (config-if)#frame- relay map ip 10.0.0.3 206 broadcast
Mumbai (config-if)#no shut
AHE:-

AHE(config)#int s0/0
AHE(config-if)# ip address 10.0.0.3 255.255.255.0
AHE(config-if)#frame-relay int-type dte
AHE(config-if)#no frame-relay inverse-arp
AHE(config-if)#frame-relay map ip 10.0.0.1 204 broadcast
AHE(config-if)#frame- relay map ip 10.0.0.2 301 broadcast
AHE(config-if)#no shut

After the Love!!!!!

कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्क़िल है ।
यहाँ परियों का मजमा है, वहाँ हूरों की महफ़िल है ।

इलाही कैसी-कैसी सूरतें तूने बनाई हैं,
हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल है।

ये दिल लेते ही शीशे की तरह पत्थर पे दे मारा,
मैं कहता रह गया ज़ालिम मेरा दिल है, मेरा दिल है ।

जो देखा अक्स आईने में अपना बोले झुँझलाकर,
अरे तू कौन है, हट सामने से क्यों मुक़ाबिल है ।

हज़ारों दिल मसल कर पाँवों से झुँझला के फ़रमाया,
लो पहचानो तुम्हारा इन दिलों में कौन सा दिल है ।

Saturday, July 31, 2010

मैं पल-दो-पल.........................

मैं पल-दो-पल का शायर हूँ, पल-दो-पल मेरी कहानी है ।

पल-दो-पल मेरी हस्ती है, पल-दो-पल मेरी जवानी है ॥


मुझ से पहले कितने शायर आए और आ कर चले गए,

कुछ आहें भर कर लौट गए, कुछ नग़में गा कर चले गए ।

वे भी एक पल का क़िस्सा थे, मैं भी एक पल का क़िस्सा हूँ,

कल तुम से जुदा हो जाऊंगा गो आज तुम्हारा हिस्सा हूँ ॥


मैं पल-दो-पल का शायर हूँ, पल-दो-पल मेरी कहानी है ।

पल-दो-पल मेरी हस्ती है, पल-दो-पल मेरी जवानी है ॥


कल और आएंगे नग़मों की खिलती कलियाँ चुनने वाले,

मुझसे बेहतर कहने वाले, तुमसे बेहतर सुनने वाले ।

कल कोई मुझ को याद करे, क्यों कोई मुझ को याद करे

मसरुफ़ ज़माना मेरे लिए, क्यों वक़्त अपना बरबाद करे ॥


मैं पल-दो-पल का शायर हूँ, पल-दो-पल मेरी कहानी है ।

पल-दो-पल मेरी हस्ती है, पल-दो-पल मेरी जवानी है ॥

Bye~~~~~~~~~~Sahir Ludhianvi

H@l @ D!L.........!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!


Part-1

तुम न जाने किस जहाँ में खो गए,
हम भरी दुनिया में तनहा हो गए!

मौत भी आती नहीं,आस भी जाती नहीं,
दिल को यह क्या हो गया,कोई शैय भाती नहीं!

लूट कर मेरा जहाँ,छुप गए हो तुम कहाँ,
एक जाँ और लाख ग़म,घुट के रह जाए न दम!

आओ तुम को देख लें,डूबती नज़रों से हम,
लूट कर मेरा जहाँ, छुप गए हो तुम कहाँ!

तुम न जाने किस जहाँ में खो गए,
हम भरी दुनिया में तनहा हो गए!

Part-2

मेरे नदीम मेरे हमसफ़र उदास न हो
कठिन सही तेरी मन्जिल मगर उदास न हो

कदम कदम पे चट्टानें खडी़ रहें लेकिन
जो चल निकले हैं दरिया तो फिर नहीं रुकते
हवाएँ कितना भी टकराएँ आँधियाँ बनकर
मगर घटाओं के परछम कभी नहीं झुकते
मेरे नदीम मेरे हमसफ्रर ......

हर एक तलाश के रास्ते में मुश्किलें हैं मगर
हर एक तलाश मुरादों के रंग लाती है
हजारों चाँद सितारों का खून होता है
तब एक सुबह फ़िजाओं पे मुस्कुराती है
मेरे नदीम मेरे हमसफ्रर ......

जो अपने खून को पानी बना नहीं सकते
वो जिंदगी में नया रंग ला नहीं सकते
जो रास्ते के अँधेरों से हार जाते हैं
वो मंजिलों के उजाले को पा नहीं सकते
मेरे नदीम मेरे हमसफ्रर ......



One and Only Your Yogendra Pratp Singh

Message of the Day!!!!!!!!!!!!!!

U know who is d best couple in the world?
Smile and tears.
Usually they r not seen 2gether,
but when they r together its the best moment of the life!!!!!!!!!!

Never b Proud,
For what u r & the Position u hold,
Bcoz after a Game of Chess,
the King & the Soldiers
go into the same box..


A smile is like a Sim card
&
Life is like a cellphone
Whenever You insert the
Sim card of a smile ,
A beautiful day is
Activated …

Good morning & Keep smiling

Friday, July 30, 2010

Some Thing Different............................

इक इल्तज़ा है तुमसे
के मेरे दोस्त बन जाओ
और मुझे महोब्बत न करो.....

ये तमन्ना है के मेरी ज़िन्दगी में आओ
और मुझे महोब्बत न करो.......॥


सिवा तुम्हारे कुछ सोचूँ मैं नहीं
सोचता हूँ बता दूं
मगर रूबरू जब तुम हो तो कुछ बोलूं मैं नहीं...

काश ऐसा हो के
मैं तुम,तुम मैं बन जाओ
और मुझे महोब्बत ना करो......॥


अक्सर देखा है
महोब्बत को नाकाम होते हुए
साथ जीने के वादे किए
फिर तनहा रोते हुए.......

जो हमेशा साथ निभाए..वो तो बस दोस्ती है
जो कभी ना रूलाए..वो तो बस दोस्ती है........
यूँ ही देखा है बचपन की दोस्ती को बूढा होते हूए
ना किए कभी वादे..पर हर वादे को पूरा होते हूए...॥

ये तमन्ना है के मेरी ज़िन्दगी में आओ
और मुझे महोब्बत न करो...
ये इल्तज़ा है के मेरे दोस्त बन जाओ
और मुझे महोब्बत न करो......॥
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यूँ ही ता उमर मेरा साथ निभाओ
और मुझे महोब्बत न करो............

Thursday, July 29, 2010

Lage Raho Munna Bhai

शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है? जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है? पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है? सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है? अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं? 108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं? इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं, लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं. मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है, लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं? कब डूबते हुए सुरज को देखा त, याद है? कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है? तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है जब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या हैं???
Yogendra Pratap Singh

Mirza Ghalib

आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे
ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ-सा कहें जिसे

हसरत ने ला रखा तेरी बज़्म-ए-ख़याल में
गुलदस्ता-ए-निगाह सुवैदा[1] कहें जिसे

फूँका है किसने गोश-ए-मुहब्बत[2] में ऐ ख़ुदा
अफ़सून-ए-इन्तज़ार[3] तमन्ना कहें जिसे

सर पर हुजूम-ए-दर्द-ए-ग़रीबी[4] से डालिये
वो एक मुश्त-ए-ख़ाक[5] कि सहरा[6] कहें जिसे

है चश्म-ए-तर[7] में हसरत-ए-दीदार से निहां[8]
शौक़-ए-अ़ना-गुसेख़्ता[9] दरिया कहें जिसे

दरकार है शगुफ़्तन-ए-गुल हाये-ऐश[10] को
सुबह-ए-बहार पम्बा-ए-मीना[11] कहें जिसे

"गा़लिब" बुरा न मान जो वाइज़[12] बुरा कहे
ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे

शब्दार्थ:

↑ दिल का दाग़
↑ प्रेमी का कान
↑ प्रतिज्ञा का जादू
↑ अकेले रहने की पीड़ा की अधिकता
↑ एक मुठ्ठी मिट्टी
↑ रेगिस्तान
↑ आँख
↑ छुपा हुआ
↑ बेलगाम शौक़
↑ ऐश्वर्य के फूलों को खिलने के लिए
↑ शराब की सुराही पर रखा हुआ रुई के फाहा
↑ उपदेशक

Saturday, July 24, 2010

Koi Deewana Kehta hai

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!

मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है !
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!

समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता !
यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता !!
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले !
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!

भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा!
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा!!
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का!
मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा!!

Thing About Love................

"You don't marry someone you can live with - you marry the person who you cannot live without."

"Life has taught us that love does not consist in gazing at each other but in looking outward together in the same direction."

"A kiss is a lovely trick designed by nature to stop speech when words become superfluous."

"I never knew how to worship until I knew how to love."

"True love is like ghosts, which everybody talks about and few have seen."

"Better to have loved and lost, than to have never loved at all."

"To love another person is to see the face of God."

"Love is but the discovery of ourselves in others, and the delight in the recognition."

"Sympathy constitutes friendship; but in love there is a sort of antipathy, or opposing passion. Each strives to be the other, and both together make up one whole."

"The richest love is that which submits to the arbitration of time."

“Very small degree of hope is sufficient to cause the birth of love."

"There is no remedy for love but to love more."

"Love cures people - both the ones who give it and the ones who receive it."

"To love and win is the best thing. To love and lose, the next best."

"If you love someone, let them go. If they return to you, it was meant to be. If they don't, their love was never yours to begin with..."

"True love never dies for it is lust that fades away. Love bonds for a lifetime but lust just pushes away."

"Who says love never lives? Maybe we've never lived."

"Some love lasts a lifetime. True love lasts forever."

"If love is great, and there are no greater things, then what I feel for you must be the greatest."

"The Eskimos have 52 words for snow because it is so special to them; there ought to be as many for love!"

"Love is like playing the piano. First you must learn to play by the rules, then you must forget the rules and play from your heart."

"Within you, I lose myself. Without you, I find myself wanting to be lost again."

Yogendra Pratap Singh

Wednesday, January 20, 2010

Bootable USB Flash Drive

Go this link and find the step of creating the Bootable Pen Drive

http://www.bootdisk.com/pendrive.htm
http://www.weethet.nl/english/hardware_bootfromusbstick.php
http://kmwoley.com/blog/?p=345

Wednesday, January 06, 2010

Full Forms

  1. Computer= Common Operating Machine Particulary Used for Technical Educational and Research P slient but show your Presents.
  2. PC= Personal Computer
  3. COM = Computer Output Microfilm
  4. DIN= Dueche Industrie Norm