Friday, August 06, 2010

**********दिल में अरमाँ जगा लिया मैंने**********

दिल में अरमाँ जगा लिया मैंने,
दिन ख़ुशी से बिता लिया मैंने।

इक समंदर को मुँह चिढ़ाना था,
रेत पर घर बना लिया मैंने।

अपने दिल को सुकून देने को,
इक परिन्दा उड़ा लिया मैंने।

आईने ढूंढ़ते फिरे मुझको,
ख़ुद को तुझ में छुपा लिया मैंने।

ओढ़कर मुस्कुराहटें लब पर,
आँसुओं का मज़ा लिया मैंने।

ऐ DIL चल समेट ले दामन
जो भी पाना था पा लिया मैंने।

2 comments:

Minakshi Pant said...

bahut hi khubsurat padhkar mza aa gya dost ji :)

Minakshi Pant said...

शब्द पुष्टिकरण हटा दें तो टिप्पणी करने में आसानी होगी ..धन्यवाद
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया